बीजेपी का आरक्षण में विश्वास नहीं, नेता प्रतिपक्ष बोले- 7 लाख अधिकारी-कर्मचारियों के साथ कर रही अन्याय, 62000 कर्मचारी हो गए निवृत

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Vivek Sharma
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बीजेपी का आरक्षण में विश्वास नहीं, नेता प्रतिपक्ष बोले- 7 लाख अधिकारी-कर्मचारियों के साथ कर रही अन्याय, 62000 कर्मचारी हो गए निवृत


Bhopal. मप्र में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर दोनो प्रमुख पार्टियां रणनीति बनाने में जुट गई हैं। दोनों ही जनता को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। राज्य में प्रमोशन, पुरानी पेंशन और OBC आरक्षण प्रमुख मुद्दा है जिसे लेकर दोनों दलों समय-समय पर प्रतिक्रिया देते रहते हैं लेकिन अब इसी मुद्दे को लेकर विपक्षी दल ने बड़ा दांव खेला है। पार्टी ने कहा कि यदि 2023 में कांग्रेस की सत्ता आती है तो प्रदेश में पुरानी पेंशन लागू करेंगे। नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि पूर्व में कमलनाथ भी इसकी भी घोषणा कर चुके हैं। उन्होंने शिवराज सरकार पर निशाना साधते हुए कहा तीनों ही मुद्दों पर कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया जा रहा है।  प्रदेश के 7 लाख अधिकारी-कर्मचारियों के साथ बीजेपी अन्याय कर रही है। आरक्षण में भी बीजेपी का विश्वास नहीं है।  इसलिए कमलनाथ सरकार का क्रमोन्नति-2020 का आदेश लागू किया जाए। 



सेवा में आयु वृद्धि से रोजगार के अवसर खत्म



उन्होंने कहा कि 6 साल में 62 हजार कर्मचारी बिना प्रमोशन के ही रिटायर्ड हो गए। सेवा में आयु वृद्धि से युवाओं के रोजगार के अवसर खत्म हो गए जिससे युवाओं में भारी नाराजगी है। अन्य वर्ग भी परेशान हैं। कमलनाथ सरकार के कार्यकाल में आईएएस, आईपीएस एवं राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को जिस प्रकार से उच्च पद पदस्थ करने के लिए क्रमोन्नति दी जाती है। उसी तरह प्रदेश के शासकीय अधिकारी-कर्मचारियों को भी उच्च पद पर पदस्थ करने के लिए क्रमोन्नति दी जाए। इस संबंध में 9 मार्च 2020 को शासनादेश भी जारी किए थे, लेकिन वर्तमान भाजपा सरकार ने उक्त आदेश का पालन केवल पुलिस विभाग में ही लागू किया है। अन्य विभागों के अधिकारी-कर्मचारी क्रमोन्नति के लाभ से वंचित हैं।

 



कांग्रेस ही पिछड़े वर्ग की हितैषी 



डॉ. सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज जगह-जगह बयान दे रहे हैं कि हम पिछड़े वर्ग के हितैषी हैं, लेकिन इस ओर अभी तक उन्होंने कोई कदम नहीं उठाया। आरक्षण पर देश में सबसे पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह ने चर्चा की और महाजन आयोग बनाया था। जब दिग्विजय सिंह मुख्यमंत्री बने, तो पंचायतों और सरकारी नौकरियों और निगम मंडलों में भी 14% पिछड़े वर्ष को आरक्षण देने का आदेश दिया। जब कमलनाथ की सरकार बनी, तब 14% को बढ़ाकर 27% आरक्षण पिछडे़ वर्ग के लिए किया, लेकिन हाईकोर्ट ने आरक्षण का जो नियम था उसे समाप्त कर दिया। उच्च न्यायालय ने आरक्षण एक जगह देने की व्यवस्था दी। यह केस कोर्ट में चल रहा है। 


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